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नकाब

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  • Post last modified:November 7, 2020
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सब एक नकाब पहने रहते हैं
सब एक पौशाक ओढ़े चलते हैं
ज़िन्दगी में एक और ज़िन्दगी की उम्मीद लगाए रहते हैं

अपनों के साथ रहते हुए भी अपनों की तलाश में रहते हैं

सबकुछ खोकर कुछ पाने की कोशिश में लगे रहते हैं
दिल का हाल पूछे जाने पर कुछ नहीं कह कर
सबकुछ छुपाने की फिराक में रहते हैं
होटों पर मुस्कान पहने गम दबाए रखते हैं

सुकून की खोज में दुख को हमसफ़र बनाए निकलते हैं

बेखबर होकर ज़िन्दगी से बेबस मौत की और बढ़ते है

खुदको अंधेरे में रख उजियारे की आशा रखते हैं
सपनो के पीछे भागते भागते खुद पीछे रह जाते हैं।

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